गुरुवार, 27 सितंबर 2012

पावन प्रतिज्ञा - गया प्रसाद शुक्ल 'सनेही'

    पावन प्रतिज्ञा

   pawan pratigya

चरखे चलाएंगे, बनाएंगे स्वेदशी सूत

कपड़े बुनाएंगे, जुलाहों को जिलाएंगे

चाहेंगे न चमक-दमक चिर चारुताई
अपने बनाए उर लाय अपनाएंगे

पाएंगे पवित्र परिधान, पाप होंगे दूर
जब परदेशी-वस्त्र ज्वाला में जलाएंगे

गज़ी तनज़ेब ही सी देगी ज़ेब तन पर
गाढ़े में त्रिशूल अब नैन-सुख पाएंगे
                                       गया प्रसाद शुक्ल 'सनेही'
                                       gya prsad shukla 'snehi'

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