भारत को खुशहाल बनाने, आज क्रांति फिर लाना है...
गली गली दंगे होते हैं, देशप्रेम का नाम नहीं
नेता बन कुर्सी पर बैठे, पर जनहित का काम नहीं
अब फिर इनके कर्त्तव्यों की, स्मृति हमें दिलाना है,
भारत को खुशहाल बनाने, आज क्रांति फिर लाना है...
पेट नहीं भरता जनता का, अब झूठी आशाओं से
आज निराशा ही मिलती है, इन लोभी नेताओं से
झूठे आश्वासन वालों से, अब ना धोखा खाना है,
भारत को खुशहाल बनाने, आज क्रांति फिर लाना है...
आज जिन्हें अपना कहते हैं, वही पराए होते हैं
भूल वायदे ये जनता के, नींद चैन की सोते हैं
उनसे छीन प्रशासन अपना, 'युवाशक्ति' दिखलाना है
भारत को खुशहाल बनाने, आज क्रांति फिर लाना है...
देशभक्ति की राह भूलकर, नेतागण खुद में तल्लीन
शासन की कुछ सुख सुविधाएँ, बना रहीं इनको पथहीन
ऐसे दिग्भ्रम नेताओं को, सही सबक सिखलाना है
भारत को खुशहाल बनाने, आज क्रांति फिर लाना है...
काले धंधे रिश्वतखोरी, आज बने इनके व्यापार
भूखी सोती ग़रीब जनता,सहकर लाखों अत्याचार
रोज़ी-रोटी दे ग़रीब को, समुचित न्याय दिलाना है
भारत को खुशहाल बनाने, आज क्रांति फिर लाना है..
अब हमको संकल्पित होकर, प्रगति शिखर पर चढ़ना है
ऊँच-नीच के छोड़ दायरे, हर पल आगे बढ़ना है
सारी दुनिया में भारत की, नई पहचान बनाना है
भारत को खुशहाल बनाने, आज क्रांति फिर लाना है.
-डॉ. विजय तिवारी किसलय
गली गली दंगे होते हैं, देशप्रेम का नाम नहीं
नेता बन कुर्सी पर बैठे, पर जनहित का काम नहीं
अब फिर इनके कर्त्तव्यों की, स्मृति हमें दिलाना है,
भारत को खुशहाल बनाने, आज क्रांति फिर लाना है...
पेट नहीं भरता जनता का, अब झूठी आशाओं से
आज निराशा ही मिलती है, इन लोभी नेताओं से
झूठे आश्वासन वालों से, अब ना धोखा खाना है,
भारत को खुशहाल बनाने, आज क्रांति फिर लाना है...
आज जिन्हें अपना कहते हैं, वही पराए होते हैं
भूल वायदे ये जनता के, नींद चैन की सोते हैं
उनसे छीन प्रशासन अपना, 'युवाशक्ति' दिखलाना है
भारत को खुशहाल बनाने, आज क्रांति फिर लाना है...
देशभक्ति की राह भूलकर, नेतागण खुद में तल्लीन
शासन की कुछ सुख सुविधाएँ, बना रहीं इनको पथहीन
ऐसे दिग्भ्रम नेताओं को, सही सबक सिखलाना है
भारत को खुशहाल बनाने, आज क्रांति फिर लाना है...
काले धंधे रिश्वतखोरी, आज बने इनके व्यापार
भूखी सोती ग़रीब जनता,सहकर लाखों अत्याचार
रोज़ी-रोटी दे ग़रीब को, समुचित न्याय दिलाना है
भारत को खुशहाल बनाने, आज क्रांति फिर लाना है..
अब हमको संकल्पित होकर, प्रगति शिखर पर चढ़ना है
ऊँच-नीच के छोड़ दायरे, हर पल आगे बढ़ना है
सारी दुनिया में भारत की, नई पहचान बनाना है
भारत को खुशहाल बनाने, आज क्रांति फिर लाना है.
-डॉ. विजय तिवारी किसलय
5 टिप्पणियां:
रचना उत्कृष्ट है कृपया इसे छंद वार लिखें -
भारत को खुशहाल बनाने ,आज क्रान्ति फिर लाना है ,
गली गली दंगे होते हैं, देशप्रेम का नाम नहीं
नेता बन कुर्सी पर बैठे, पर जनहित का काम नहीं ,
अब फिर इनके कर्त्तव्यों की, स्मृति हमें दिलाना है.
शिथलीकरण व्यायाम करें ,खूब पानी पिए .कील मुहांसे से बचने की एक और वजह है स्मोक ही नहीं स्मोकर्स से भी दूर रहें .
अब हमको संकल्पित होकर ,प्रगति शिखर पर चढ़ना है ,
उंच नीच के छोड़ दायरे ,हर पल आगे बढना है ,
साड़ी दुनिया में भारत की ,नै पहचान बनाना है ,
भारत को खुशहाल बनाने ,आज क्रान्ति फिर लाना है .
इस फोर्मेट में लिखे भाई साहब यह रचना जो बहुत सन्देश परक और सुन्दर है ,आवाहन करती संकल्प लें भारत नव निर्माण का .
sorry for this fault but now I corrected my mistake.
भारत को खुशहाल बनाने, आज क्रांति फिर लाना है..
बढिया आवाहन ,कुत्ताये कुर्सी खोरों को कुर्सी च्युत करवाने का ,....
बहुत सार्थक उद्धहरण ,बधाई स्वीकार करें .कृपया यहाँ भी पधारें -
बुधवार, 9 मई 2012
शरीर की कैद में छटपटाता मनो -भौतिक शरीर
http://veerubhai1947.blogspot.in/
रहिमन पानी राखिये
http://kabirakhadabazarmein.blogspot.in/
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